Sunday, April 26, 2020

                   "हाँ, मैं शिशिका हूँ"
अपने मन की अभिव्यक्ति को, 
शब्दों में पिरोना चाहती हूँ।
हाँ, मैं शिक्षिका हूँ, 
बच्चों का भविष्य सँवारना चाहती हूँ।
इन नए पौधों को, माली की तरह सींचतीं हूँ।
गर कहीं ये झुक जाएँ या राह चलते भटक जाएँ।
तो इन्हें, सीधा करना भी जानतीं हूँ।
हाँ, मैं शिक्षिका हूँ...
कभी डाँट से, कभी फटकार से, 
तो कभी बड़े ही प्यार से।
इनसे ही इनका काम करवाती हूँ।
क्या करूँ, इनके कोमल मन को भी पहचानतीं हूँ।
पर इनके उज्ज्वल भविष्य के सपने भी साकार करवाती हूँ।
हाँ, मैं शिक्षिका हूँ...
इन्हें स्वावलम्बी बनने का, 
तथा खुद का खुद से ही आत्मसात करने का,
इनकी क्षमताओं को पहचानकर, 
कर्मठता का पाठ पढ़ाकर,
शिखर तक पहुँचाने का प्रयास करना चाहतीं हूँ।
हाँ, मैं शिक्षिका हूँ...

-डॉ. मधु मिश्रा

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